हमारे बारे मे

     समग्र संसाधन प्रबंधन विश्वविद्यालय, व्यक्ति, एकल परिवार, संयुक्त परिवार, आस-पड़ोस, समूह, गाँव, समाज, प्रकृति, देश, परिवेश में बदलाव और उपलब्ध शिक्षा में संतुलन ले आने के लिये इस क्षेत्र में कार्य कर रहे सभी उत्सुक व्यक्तियों, सामाजिक संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, अन्य संगठनों एवं सरकारों से प्रायोजित संस्थाओं- विशेष कर वित्तीय संगठनों एवं उनके कल्याण के लिये कार्य करने वाले लोगों को, एक विहंगम दृष्टि प्रदान कर उनके क्रियाकलापों में बदलाव का अवसर प्रदान करेगा।

    इस विश्वविद्यालय का प्रमुख उद्देश्य उन व्यक्तियों एवं एकल अथवा संयुक्त परिवार के लोगों को, जो परिवेश में हो रहे बदलाओं को आत्मसात करते हुये अपनी अगली पीढ़ियों को निरंतर तैयार करते रहना चाहते हैं, उनको अनुभव और इसको साकार करने के लिये इस विश्वविद्यालय में सँजोये गए अनुभवों और घर परिवार की, उनकी छूटती जा रही इस पढ़ाई को पूरा करने हेतु, उनकी खुद की जरूरत के अनुसार उनको शिक्षित करने का निरंतर प्रयास करता रहेगा। इसलिये उनकी पढ़ाई की विषय सामग्री तैयार करने में उनसे सहयोग लेगा। आगे आने वाले दिनों में हो रहे तकनीकी बदलाओं के उपयोग से सामूहिक शिक्षा के प्रयास से, छीजन को कम करते हुये, उसका फायदा वे अपने आस-पड़ोस और गाँव, समाज को भी दे सकें।

    उनको और उनकी अगली पीढ़ियों को बदलाव में सामिल करते हुये, उनकी आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करके, न केवल वे शोषण से मुक्ति प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हो सकेगें अपितु हर एक को सुखी जीवन जीने का अवसर उपलब्ध कराने का आधार तैयार कर सकेगें। बिना आस-पड़ोस के सभी लोगों के सुखी हुये कोई भी अकेले और स्थायीरूप से सुखी नहीं हो पायेगा।

बिना इस बदलाव के, नौकरों के भरोसे किये/ कराये जाने वाले आधे-अधूरे प्रयास से सभी को सुखी बनाने का प्रयास कभी भी सफल नहीं हो पायेगा।

     इसके लिये पूँजीवादी अर्थव्यवस्था को निरंतर सक्षम बनाने वाली बौद्धिक संपदा के समकक्ष, हम सबको एक साथ जुड़ते हुये, अपने और अपने लोगों के हितों पर निरंतर काम करते रहने हेतु, अपने लिये आवश्यक बौद्धिक संपदा( ज्ञान और अनुभव का भंडार) का सृजन करते रहना अत्यंत आवश्यक होगा। इसके लिये विरासत नहीं, अपितु अपने में से योग्यतम व्यक्तियों के हाथों में, बिना किसी बाधा के, विरासत से मिलने वाले लाभ को सुनिश्चित करते हुये, इसके नियंत्रण को हस्तांतरित करते रहने की अपनी जनतांत्रिक व्यवस्था भी बनानी होगी।

    पूँजीवादी व्यवस्था के आर्थिक पद्धति के समकक्ष, सबको एकसाथ जोड़ते हुये सहकार के माध्यम से, अपने बचत को अपने नियंत्रण में रखते हुये, न केवल अपने कामकाजी लोगों को धन मुहैया कराने हेतु अपितु इसके द्वारा हो रहे शोषण को समाप्त करने के लिये, एक नई और सक्षम वित्तीय प्रबंधन का सृजन करना होगा। यह हो पायेगा सिद्धार्थ गौतम के कुशल विचारों एवं कुशल कर्मों के विचारों को अपनाने के साथ ही, लेन-देन में एक दूसरे की क्षमता और जरूरतों के हिसाब से काम करने से।

    अर्थात सक्षम और समर्थ को अपनी तरफ से अंतिम पायदान पर पड़े लोगों को अधिक देते हुये, उनको कुशल विचारों एवं कुशल कर्मों की ओर ले जाने के लिये तैयार करने से। केवल उनकी वंशावली आगे बढ़ती है जो अपने बच्चों को, परिवेश में हो रहे बदलावों को आत्मसात करते हुये, बिना दूसरों को हानि पहुंचाये, अपने रोजी-रोटी के लिये तैयार करते हुये सक्षम बनाने के लिये अपने में आवश्यक बदलाव करते रहते हैं और यही सीख अपने बच्चों को भी देते हैं।

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सी ब्लॉक, फ्लैट नं. 3704,लायन एनक्लेव सिटी, विशाल मेगा मार्ट के सामने, नेवादा, सुंदर पुर रोड, बी.एच.यू., वाराणसी, पिनकोड- 221005

+91 - 8004922606

prasadchandrabhanu@gmail.com

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